कुछ दूरी से देख लेती जो
मुझे मिलना नहिं था .…
चंद सांसें मिल जाती शायद
उलझाना नहीं था ...
घडी भर को ठहर जाती धरती
बरस जाता चाहत...
भीग जाती मैंने छिपके कंही
मिल जाती राहत...
तुम ऐसे ही किसी बात पे जो
हस लेते पल भर...
चांदनी बिखर जाती आज
मुएँ अमावस पर...
बेखबर मुझसे जो तुम, कोई
खबर नहीं है ...
गम में हे या खुस है ज़िंदगी कोई
असर नहीं है ...
कुछ दूरी से देख लेती जो
मुझे मिलना नहिं था .…
चंद सांसें मिल जाती शायद
उलझाना नहीं था ...
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